Detailed Notes on Shiv Chalisa lyrics

अर्थ- हे प्रभू आपने तुरंत तरकासुर को मारने के लिए षडानन (भगवान शिव व पार्वती के पुत्र कार्तिकेय) को भेजा। आपने ही जलंधर (श्रीमददेवी भागवत् पुराण के अनुसार भगवान शिव के तेज से ही जलंधर पैदा हुआ था) नामक असुर का संहार किया। आपके कल्याणकारी यश को पूरा संसार जानता है।

अर्थ: आपके सानिध्य में नंदी व गणेश सागर के बीच खिले कमल के समान दिखाई देते हैं। कार्तिकेय व अन्य गणों की उपस्थिति से आपकी छवि ऐसी बनती है, जिसका वर्णन कोई नहीं कर सकता।

शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥

शबरी सँवारे रास्ता आएंगे राम जी - राम भजन

नासै रोग हरे सब पीरा। जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।

धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥

पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

धूप दीप website नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15

Comments on “Detailed Notes on Shiv Chalisa lyrics”

Leave a Reply

Gravatar